इस ब्लॉग को लिखने का मेरा एकमात्र मकसद आप लोगों को मेरी रचऩाओ से प्रभावित कर कुछ समझाना है, चूंकि और कोई अच्छा गुण हमारे में नहीं है जिसको हम समाज में सरेआम उजागर कर सकें, इससे इक संदेश मिला करेगा सभी को पर इस बात का हमें बहुत खेद है कि हमें कोई ग़ज़ल लिखनी नहीं आती, इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार अविनाश यादव के पास सुरक्षित हैं। अविनाश यादव की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
Nov 4, 2013
Gali-Gali Firta Hy Woh Fir Q
Jaha b dekho ek shor hy,
Jangal mei bhatakta mor hy,
Koi kya samjhe bhala kisi k dil ki tadap ko,
Dil ki tadap toh rehti-gunjti har orr hy,
Bechaari Nazar dhundti hy jish nazar ko,
Woh bhalkaati kaatil nazar hi rehti saali chor hy,
Jaha b dekho ek shor hy,
Jangal mei bhatakata mor hy......!!
-@avvinash@-
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