इस ब्लॉग को लिखने का मेरा एकमात्र मकसद आप लोगों को मेरी रचऩाओ से प्रभावित कर कुछ समझाना है, चूंकि और कोई अच्छा गुण हमारे में नहीं है जिसको हम समाज में सरेआम उजागर कर सकें, इससे इक संदेश मिला करेगा सभी को पर इस बात का हमें बहुत खेद है कि हमें कोई ग़ज़ल लिखनी नहीं आती, इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार अविनाश यादव के पास सुरक्षित हैं। अविनाश यादव की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
Nov 27, 2013
Ab aAsa Bahut Kamm Hi Hota Hai
Dekha kabi muskurahat laate hue,
Dekha kabi khusi pe khusi lutaate hue,
Dekha kabi nai zindgi mei ummid jagate hue,
Dekha kabi aage badhkar haanth badathe hue,
Dekha kabi kuch se kuch naya karte hue,
Dekha kabi khud girkar dusro ko sambhalte hue,
Dekha kabi zindgi ko zindgi jaisa sawarte hue,
Par ab nahi.
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